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बहू की विदा
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जीवनलाल का चरित्र चित्रण
एकांकी का प्रमुख पात्र, अवस्था 50 वर्ष, धनी व्यापारी, परिवार के मुखिया, जिद्दी, संवेदनहीन, लालची, निर्मम बहू और बेटी में भेदभाव करने वाले
राजेश्वरी
स्वस्थ व आकर्षक महिला जीवन लाल की पत्नी उम 46 वर्ष सकारात्मक भूमिका, संवेदनशील स्त्री, विनम्र ,दयालु दूसरों की भावनाओं का सम्मान
कमला
विनम्र ससुर के प्रति कोई दुर्भावना नहीं धैर्यवान और सहनशीलजीवन लाल की पुत्रवधू रमेश की पत्नी उम्र 29 वर्ष
रमेश
जीवनलाल राजेश्वरी का पुत्र, कमला का पति, उम्र 22 वर्ष, आज्ञाकारी विनम्र व शालीन
प्रमोद
उम्र 23,  कमला का भाई, जिम्मेदार, धैर्यवान , संस्कारी
वाक्य किसने किससे कहे ? अगर तुम्हारी सामर्थ्य कम थी, तो अपनी बराबरी का घर देखते |
जीवन लाल ने प्रमोद से
"देना तो दूर बारात की खातिर भी ठीक से नहीं की गई |"
जीवनलाल ने प्रमोद से
"मेरे रहते विदा ना हो यह कभी नहीं हो सकता"
राजेश्वरी प्रमोद से
"कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है बेटा"
जीवन लाल प्रमोद से
एकांकी का उद्देश्य:-
दहेज समस्या के प्रति जागरूक करना यह बताना की बहू बेटी में अंतर नहीं करना चाहिए
ममता की मूर्ति किसे कहा गया है ?
राजेश्वरी
जीवन लाल के दिल को ठेस लगने का कारण :-
कम दहेज, बारातियों का स्वागत ठीक से ना करना |
जीवन लाल की चोट के लिए मरहम ?
₹5000
समस्या का निवारण :-
लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए शिक्षा का प्रचार प्रसार करना चाहिए समाज की उदार मानसिकता