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बहू की विदा

  •  Hindi    14     Public
    बहू की विदा
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  • जीवनलाल का चरित्र चित्रण
    एकांकी का प्रमुख पात्र, अवस्था 50 वर्ष, धनी व्यापारी, परिवार के मुखिया, जिद्दी, संवेदनहीन, लालची, निर्मम बहू और बेटी में भेदभाव करने वाले
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  • राजेश्वरी
    स्वस्थ व आकर्षक महिला जीवन लाल की पत्नी उम 46 वर्ष सकारात्मक भूमिका, संवेदनशील स्त्री, विनम्र ,दयालु दूसरों की भावनाओं का सम्मान
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  • कमला
    विनम्र ससुर के प्रति कोई दुर्भावना नहीं धैर्यवान और सहनशीलजीवन लाल की पुत्रवधू रमेश की पत्नी उम्र 29 वर्ष
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  • रमेश
    जीवनलाल राजेश्वरी का पुत्र, कमला का पति, उम्र 22 वर्ष, आज्ञाकारी विनम्र व शालीन
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  • प्रमोद
    उम्र 23,  कमला का भाई, जिम्मेदार, धैर्यवान , संस्कारी
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  • वाक्य किसने किससे कहे ? अगर तुम्हारी सामर्थ्य कम थी, तो अपनी बराबरी का घर देखते |
    जीवन लाल ने प्रमोद से
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  • "देना तो दूर बारात की खातिर भी ठीक से नहीं की गई |"
    जीवनलाल ने प्रमोद से
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  • "मेरे रहते विदा ना हो यह कभी नहीं हो सकता"
    राजेश्वरी प्रमोद से
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  • "कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है बेटा"
    जीवन लाल प्रमोद से
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  • एकांकी का उद्देश्य:-
    दहेज समस्या के प्रति जागरूक करना यह बताना की बहू बेटी में अंतर नहीं करना चाहिए
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  • ममता की मूर्ति किसे कहा गया है ?
    राजेश्वरी
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  • जीवन लाल के दिल को ठेस लगने का कारण :-
    कम दहेज, बारातियों का स्वागत ठीक से ना करना |
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  • जीवन लाल की चोट के लिए मरहम ?
    ₹5000
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  • समस्या का निवारण :-
    लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए शिक्षा का प्रचार प्रसार करना चाहिए समाज की उदार मानसिकता
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